दिल्ली-एनसीआर में एक अक्टूबर से नहीं चलेंगे डीजल जेनरेटर, सीपीसीबी ने डीजी सेट कन्वर्जन के लिए नियुक्त किए तीन वेंडर

NCRkhabar.com..Delhi-NCR में अगले माह एक अक्टूबर से ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान (ग्रेप) लागू हो जाएगा। इस दौरान डीजल से चलने वाले जेनरेटर के इस्तेमाल पर पाबंदी होगी। हालांकि, स्वच्छ ईंधन पर और डुअल मोड  पर चलने वाले जेनरेटरों को छह अलग-अलग श्रेणियों में छूट रहेगी।  केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएमसी) ने दिल्ली और सभी एनसीआर राज्यों को पहले ही आगाह कर दिया है। सितंबर माह में डीजल जेनरेटर का कन्वर्जन नहीं करवाने पर एक अक्टूबर से इसको चलाने पर पाबन्दी रहेगी।
उधर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 1000 केवी तक क्षमता वाले डीजल जेनरेटर के कन्वर्जन के लिए तीन रेट्रोफिट उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण (आरईसीडी) वेंडर नियुक्त किए हैं। आरईसीडी डीजल कण पदार्थ और अन्य उत्सर्जन गैसों को कम करने के लिए सबसे प्रभावी विधि और उपकरण के रूप में मान्यता प्राप्त है। सीपीसीबी ने मैसर्स पी.आई. ग्रीन इन्नोवेशन प्रा. लि. को 225-320 केवीए, 330-500 केवीए व 330-9100केवीए कैटेगरी व मैसर्स प्लैटिनो ऑटोमोटिव प्रा. लि. को 250 केवीए कैटेगरी के डीजल जेनरेटर को कन्वर्जन के लिए वेंडर नियुक्त किया है और यह द ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया ( एआरएआई) पुणे से मान्यता प्राप्त हैं। इसके अलावा मैसर्स चक्र इनोवेशन प्रा. लि. को 250 केवीए व 320-500 केवीए के डीजी सेट को कन्वर्जन के लिए अधिकृत किया गया है और यह 250 केवीए कैटेगरी में एआरएआई व 320-500केवीए कैटेगरी में इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी मानेसर से सर्टिफाइड है। डीजल इंजन का उपयोग करने वाले इन तीनों एजेंसियों से अपने डीजी सेट का कन्वर्जन करवा सकते हैं।

आरईसीडी क्या है?

डीजल जेनरेटर से हानिकारक उत्सर्जन और प्रदूषक निकास को कम करने के लिए एक रेट्रोफिट उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण स्थापित किया गया है। बिजली कटौती के दौरान पावर बैकअप के लिए डीजल जेनरेटर का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। जब डीजल जलता है तो यह हवा में बिना जले हाइड्रोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाईट्रोजन आक्साईड या पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जित करता है। रेट्रोफिट डिवाईस तकनीक डीजल जनरेटर से हाइड्रोकार्बन और कार्बन मोनोऑक्साइड के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त लाभ जोड़ती है। आरईसीडी डीजी सेट संचालन के दौरान उत्सर्जन को नियंत्रित करते हैं। ये आरईसीडी एनजीटी, सीपीसीबी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानक औऱ मानदंडों का पालन करने के लिए बनाए औऱ परीक्षण किए गए हैं।

 

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