राज्य स्तर और जिलों में मीडिया सेल, एमसीएमसी एवं विज्ञापन अधिप्रमाणन समितियां गठित, निर्वाचन विभाग ने तैयार किया खास एक्शन प्लान, राज्य स्तरीय समिति को अधिप्रमाणन के लिए मिले अब तक 35 आवेदन, 7 को किया निरस्त

Advertisement

NCRkhabar@Jaipur. अगले माह होने वाले राजस्थान  विधानसभा आम चुनाव-2023 ( Rajasthan Assembly Election) में इस बार निर्वाचन विभाग ने पेड न्यूज, फेक न्यूज और मतदाताओं को लुभाने वाले संदेहास्पद विज्ञापनों पर कड़ी नजर रखने के लिए खास योजना बनाई है। भारत निर्वाचन आयोग से मिले निर्देशों और निर्वाचन विभाग के एक्शन प्लान के तहत मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ( CEO Praveen Gupta) की पहल पर प्रदेश के सभी 33 जिलों में मीडिया सेल, मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी (MCMC) का गठन कर दिया गया है। इसके साथ ही जिला स्तरीय विज्ञापन अधिप्रमाणन समिति का गठन सभी 25 लोकसभा क्षेत्रों में कर दिया गया है। गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में स्वतंत्र-निष्पक्ष-शांतिपूर्ण और समावेशी मतदान कराना विभाग की जिम्मेदारी है। इसी कड़ी में प्रदेश के सभी जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में एमसीएमसी का गठन कर दिया गया है। कमेटी का काम चुनाव की अधिघोषणा के साथ ही शुरू हो गया है। कमेटी द्वारा इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित समाचारों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। राज्य स्तरीय  अधिप्रमाणन समिति  को अब तक 35 विज्ञापन अधिप्रमाणन हेतु प्राप्त हुए जिनमें से 28 को अधिप्रमाणित कर दिया गया जबकि 7 को विज्ञापन समिति द्वारा निरस्त कर दिया गया है।

Advertisement

कैसे काम करती है विज्ञापन अधिप्रमाणन समिति

राजनैतिक प्रकृति का कोई भी विज्ञापन अथवा बल्क संदेश जिसे उम्मीदवार या राजनैतिक दल इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया में प्रसारित करवाना चाहते हैं, को सक्षम स्तर पर प्रमाणित करवाना अधिप्रमाणन कहलाता है। जिला स्तरीय विज्ञापन अधिप्रमाणन समिति का लोकसभा क्षेत्र का रिटर्निंग ऑफिसर अध्यक्ष होता है, जबकि सदस्य के तौर पर सहायक रिटर्निंग अधिकारी और एक इंटरमीडियरी विशेषज्ञ अथवा सोशल मीडिया विशेषज्ञ सदस्य के तौर पर होते हैं। राजनीतिक दल या उम्मीदवार को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया में विज्ञापन देने के लिए प्री-सर्टिफिकेशन अनिवार्य है। प्रिंट मीडिया में मतदान दिवस एवं मतदान के एक दिन पूर्व प्रकाशित होने वाले सभी विज्ञापनों का अधिप्रमाणन भी इसी समिति द्वारा किया जाएगा।

कैसे काम करती है एमसीएमसी कमेटी

कोई भी खबर, विज्ञापन या प्रचार-प्रसार के तरीके को पेड न्यूज की श्रेणी में आने पर मामले को जिला स्तरीय एमसीएमसी कमेटी जिला निर्वाचन अधिकारी के जरिए संबंधित रिटर्निंग अधिकारी तक पहुंचाती है। सही पाए जाने पर रिटर्निंग अधिकारी उम्मीदवार को नोटिस देकर उस बारे में जवाब मांग सकता है। जवाब से असंतुष्ट होने पर रिटर्निंग ऑफिसर राज्य स्तरीय एमसीएमसी कमेटी को मामला निस्तारित करने के लिए प्रेषित कर सकते हैं। इसी प्रकार प्रार्थी यदि रिटर्निंग ऑफिसर के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो ऐसी स्थिति में वह भी राज्य स्तरीय एमसीएमसी कमेटी में अपील कर सकता है। एमसीएमसी कमेटी द्वारा पेड न्यूज पाए जाने पर उस पेड न्यूज का खर्चा डीआईपीआर रेट पर उम्मीदवार के खर्चे में जोड़ा जाता है। उल्लेखनीय है कि एमसीएमसी कमेटी का अध्यक्ष जिला निर्वाचन अधिकारी होता है, जबकि एसडीएम या एडीएम, भारतीय प्रेस परिषद से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार, भारतीय सूचना सेवा का जिले में पदस्थापित अधिकारी और सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी इसके सदस्य होते हैं।

 

Leave a Comment

Advertisement
चुनाव विकास के आधार पर लड़ा जाना चाहिए या सांप्रदायिकता पर।
  • Add your answer
Advertisement