NCRkhabar@Bhiwadi/New Delhi. कांग्रेस आलाकमान ने आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में नेता प्रतिपक्ष के पद पर अलवर ग्रामीण से विधायक और पूर्व मंत्री टीकाराम जुली (Tikaram Juli) को मनोनीत कर दलित समुदाय को साधने की कोशिश की है। भाजपा ने प्रेमचंद बैरवा (Premchand Bairwa, Deputy CM) को उपमुख्यमंत्री बनाकर दलितों को अपने पाले में करने का प्रयास किया था लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने भी दलित नेता को नेता प्रतिपक्ष बनाकर दलितों को खास संदेश दिया है। वहीं जाट समुदाय से आने वाले पूर्व मंत्री व विधायक गोविंद सिंह को प्रदेशाध्यक्ष के पद पर बरकरार रखकर जाटों को अपने खुश रखने की कोशिश की गई है। आमतौर पर राजस्थान में जाट समुदाय कांग्रेस का समर्थक माना जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने टीकाराम जुली को नेता प्रतिपक्ष नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। विधायक टीकाराम जूली को नेता प्रतिपक्ष बनाए के बाद से कांग्रेसकार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है और सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देने का सिलसिला चल रहा है।
दलित समुदाय के बड़े नेता हैं टीकाराम जूली
नेता प्रतिपक्ष बनाए गए टीकाराम जूली दलित समुदाय के बड़े नेताओं में शुमार किए जाते है और तीसरी बार विधायक बने हैं। मूलरूप से रेवाड़ी-महेंद्रगढ़ जिले के पास स्थित बहरोड़-कोटपूतली जिले के काठुवास गांव के रहने वाले टीकाराम जूली विधानसभा में अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। राजस्थान के अलावा हरियाणा खासकर अहीरवाल क्षेत्र में दलित समाज के बीच खासा प्रभाव रखते हैं। गहलोत सरकार में टीकाराम जूली पहले राज्य मंत्री के रूप में शामिल किए गए थे लेकिन बाद में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। जूली पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह के करीबी माने जाते हैं। पिछले साल गहलोत सहित राजस्थान व हरियाणा के कई नेता टीकाराम जूली के माता-पिता के मूर्ति अनावरण समारोह में शामिल होने काठुवास आए थे।
दलित समाज के पहले नेता प्रतिपक्ष होंगे टीकाराम जूली
राजस्थान विधानसभा के इतिहास में पहली बार नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दलित को दी गई है। राजस्थान में अभी किसी दल ने दलित को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया था। कांग्रेस ने भी टीकाराम जूली को नेता प्रतिपक्ष बनाकर युवा पीढ़ी को बड़ा संदेश दिया है। जूली दलित समुदाय से आते हैं। इसलिए कांग्रेस को इसका लाभ लोकसभा चुनाव में भी मिल सकता है।
अहीरवाल की राजनीति पर पड़ सकता है असर
अविभाजित अलवर जिले की 11 विधानसभा क्षेत्रों में से छह सीट कांग्रेस व पांच सीट भाजपा के पास है। अलवर ग्रामीण, मुंडावर, थानागाजी, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, रामगढ़, किशनगढ़बास से कांग्रेस के विधायक हैं जबकि तिजारा, अलवर शहर, बहरोड़, बानसूर व कठूमर से भाजपा के विधायक हैं। राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार में अलवर जिले से अलवर शहर विधायक संजय शर्मा को स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया गया है। अलवर लोकसभा सीट यादव व मेव बहुल होने के बावजूद यादव समाज का मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं है। इससे अहीरवाल के यादव समाज के लोग खासा नाराज हैं और गत शनिवार को अलवर में धरना प्रदर्शन कर सरकार से अपनी नाराजगी जता चुके हैं। यादव समाज की मांग है कि बहरोड़ विधायक डॉ जसवंत यादव व तिजारा विधायक बाबा बालकनाथ को मंत्री बनाया जाए। अगर भाजपा लोकसभा चुनाव से पूर्व यादव समाज को प्रतिनिधित्व नहीं देती है तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा से यादव प्रत्याशी होने पर मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।