देश में चारों तरफ मंडरा रहा है साम्प्रदायिक, जातीय ,लैंगिक उत्पीड़न का खतरा : एनी राजा

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NCRKhabar@Jaipur. दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक व महिला दमन प्रतिरोध आंदोलन राजस्थान का राज्य स्तरीय सम्मेलन रविवार को इंद्रलोक सभागार, भट्टारक जी की नसिया, नारायण सिंह सर्किल टोंक रोड़ जयपुर में आयोजित किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता निजामुद्दीन, सवाईसिंह, टीसी राहुल, कैलाश मीणा व सईदा ने की जबकि कार्यक्रम का संचालन डॉ.संजय माधव , सबीहा परवीन व निशा सिद्धू ने किया। सुमित्रा चोपड़ा ने सम्मेलन में आये हुए प्रतिनिधियों का स्वागत किया। डॉ.संजय”माधव”ने दमन प्रतिरोध आंदोलन राजस्थान का परिचय दिया।

सम्मेलन को संबोधित करते वक़्ता।

केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद बढ़े सांप्रदायिक हमले

सम्मेलन का आधार-पत्र रखते हुए समग्र सेवा संघ के सवाई सिंह ने बताया कि केंद्र में आर एस एस – भाजपा सरकार आने के बाद साम्प्रदायिक हमले बढ़े है तो दूसरी तरफ औद्योगिक घरानों की लूट और मुनाफा बुलेट ट्रेन की गति से बढ़ा है। देशभर में अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं पर हमलों तथा भीड़ न्याय में भारी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल के नेताओं व मंत्रियों द्वारा संविधान की शपथ लेकर संवैधानिक मूल्यों को खत्म किया जा रहा है। कोरोना काल में मजदुरों के 44 श्रम कानूनों को बदल दिया गया तो तीन कृषि कानूनों के माध्यम से देश की बड़ी आबादी पर हमला किया गया। नई शिक्षा नीति लागू कर, शैक्षणिक संस्थानों को नष्ट किया जा रहा है। देश में नफरत का वातावरण इतना गहरा कि छोटी -छोटी बातों पर दंगे हो रहे है , जबकि जिम्मेदार सरकार – प्रशासन मौन है। जल – जंगल – जमीन पर औधोगिक घरानों को सौंपकर आदिवासियों को जंगल से जबरदस्ती विस्थापित किया जा रहा है। जोशीमठ से लेकर कोटपुतली तक खनन , बम – ब्लास्ट से पहाड़ों से लेकर घर तक दरक रहे है। ऐसे में सभी पीड़ित लोगों व संगठनों को एक खुला मंच देने के लिए दमन प्रतिरोध आंदोलन का गठन किया गया है।

 सर्वधर्म सदभाव व भाईचारा देश व समाज की तरक्की का आधार-पाटकर

जयपुर में आयोजित सम्मेलन में विचार व्यक्त करतीं मेधा पाटकर

सम्मेलन की मुख्य वक्ता जानी-मानी समाज सेविका और ‘‘नर्बदा बचाओं आंदोलन’’ की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि आज नाजीवाद और फासीवाद को इटली और जर्मनी की तरक्की का आधार मानने व संविधान को नकारने वाले लोग सत्ता में है। इन लोगों का आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं रहा था। इसलिए आज भी मंत्री से लेकर भाजपा नेता संविधान बदलने का नारा लगाते है। हमारा स्पष्ट मानना है कि देश और समाज की तरक्की का आधार सर्वधर्म सद्भाव और भाईचारा है , इसलिए शासन के लिए मार्गदर्शन, संविधान की प्रस्तावना है। आजादी के आंदोलन में हिंदु, मुसलमान, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक सभी की साझी विरासत थी लेकिन आज सरकार की शह पर बागेश्वर बाबा जैसे लोग खुलकर साम्प्रदायिक बयान देते हैं। पाटकर ने कहा कि मुजफ्फरनगर में शिक्षिका तृप्ता त्यागी अल्पसंख्यक छात्र को गैर अल्पसंख्यक छात्रों से पिटवाती है तथा मध्यप्रदेश में भाजपा नेता आदिवासी युवक के मुंह पर पेशाब करता है। बुल्डोजर कोर्ट की जगह न्याय कर रहा है, धार्मिक त्यौहारों को जहरीला बनाया जा रहा है। जाति से चलने वाली राजनीति – अर्थनीति को नेस्ताबुद करना होगा।


एन.एफ.आई.डब्ल्यू की राष्ट्रीय महासचिव एनी राजा ने कहा कि आज तमाम छोटे -बड़े संगठनों को एकजुट होकर साझा लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि हम अपने चारों ओर फैले साम्प्रदायिक, जाति, लैंगिक खतरो को महसूस करते हैं। आज रेल यात्रा व धार्मिक त्यौहार सब जगह खतरा नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री भाषण में सबका साथ – सबका विकास नारा देते हैं लेकिन आर्थिक नीतियों से लेकर संसदीय प्रक्रिया में तानाशाही व एकतरफा मनमाना व्यवहार कर रहे हैं। गुजरात में 2002 में योजनाबद्व दंगे करवाये गये थे लेकिन 2023 में चारों तरफ दंगों की हवा चल रहीं है। कोरोना काल में पी एम केयर फंड में सार्वजनिक क्षेत्रों से दबाव डालकर हजारों करोड़ रुपये इकट्ठे किये गये लेकिन सूचना का अधिकार से जानकारी मांगने पर निजी फंड बता दिया गया। अडाणी समुह की वितीय गड़बड़ियों पर सवाल उठाने पर देश के खिलाफ साजिश बताकर देशद्रोह की नई व्याख्या की जा रहीं है।

प्रधानमंत्री महिला खिलाड़ियों, मणिपुर, अडाणी, भीड़ न्याय पर चुप है – पी. कृष्णाप्रसाद

अखिल भारतीय किसान सभा के कोषाध्यक्ष व पूर्व विधायक पी कृष्णाप्रसाद ने कहा कि हर समस्या का समाधान देने की गारंटी देने वाले प्रधानमंत्री महिला खिलाड़ियों के उत्पीड़न, भीड़ न्याय व साम्प्रदायिक दंगों, मणिपुर में जारी हिंसा, अडाणी समुह द्वारा वितीय गड़बड़ी , किसानों – मजदूरों की बदहाली पर प्रधानमंत्री चुप है। संविधान बदलने की बात करने वाले, प्रधानमंत्री के करीबी लोग हैं। हमारी एकता और भाईचारे की राजनीति से आर एस एस – भाजपा डरते हैं। हमें व्यक्तिगत रुप से तथा सार्वजनिक रुप से डर से बाहर निकलकर साम्प्रदायिकता, अन्याय और अत्याचार पर खुलकर बात करनी होगी। हमें एक – दुसरे के साथ आना – जाना होगा , त्यौहारों को साथ मनाना होगा ताकि मोहब्बत पैदा हो। आज मणिपुर हो या नूंह सब जगह एक ही नीति है कि लोगों को लड़ाकर जल, जंगल और जमीन से लोगों को बेदखल करना चाहते है।
सम्मेलन में महिपाल (डीवाईएफआई), राजाराम मील ( भारतीय किसान यूनियन ( टिकैत), लतीफ आर्को (दलित मुस्लिम आंदोलन) , सागर मीणा ( आदिवासी जनाधिकार एका मंच) , किशन मेघवाल (दलित शोषण मुक्ति मंच) , अब्दुल वाहिद (अजमेर) , मेहताराम काला, डॉ अम्बेडकर विचार मंच ( जयपुर), रईसा एडवा (अलवर), बारस अली (हनुमानगढ़),शबनम (ऐडवा), राधेश्याम शुक्लाबास, राजेश बिजारणियां (झुंझुनू), डॉ लाड कुमारी जैन, संदीप जीनगर  (नीमकाथाना), डॉ रामनिवास लाम्बा (चुरु) , रविंद्र शुक्ला (सीटू),
विक्रम नेहरा (एस एफ आई) मो. आदिल सैफी (एसआईओ), सलाम जौहर ,गणेश परिहार एडवोकेट ,ओमप्रकाश धनखड़ ,दशरथ सिंह (कोटाप्रो. आर.ए,. गुप्ता आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
सम्मेलन में आधार पत्र को सर्वसम्मति से पारित किया गया।
सम्मेलन में नफ़रत मिटाओ, संविधान बचाओ, देश बचाओ, साम्प्रदायिकता, जातीय-उत्पीड़न,हिंसा, भेदभाव और महिलाओं व बच्चियों पर हो रही बर्बर यौन हिंसा के खिलाफ़ संघर्ष का कार्यक्रम, आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों साम्प्रदायिक, सामंती जातीय-उत्पीड़न की समर्थक और महिला विरोधी पार्टियों और प्रत्याशियों को हराने का प्रस्ताव पारित किया गया। अध्यक्ष मंडल की तरफ से मोहम्मद नाजीमुद्दीन ने समापन भाषण देते हुए सभी आगुंतकों का धन्यवाद ज्ञापित किया और इस सम्मेलन की मूल भावना को हर जिले और गांव, कस्बों तक ले जाने पर जोर दिया ताकि साम्प्रदायिक ताकतों का मुक़ाबला किया जा सके।

दमन प्रतिरोध आंदोलन के सम्मेलन को संबोधित करते कामरेड किशन मेघवाल।

सम्मेलन में 32 संगठन हुए शामिल

दमन प्रतिरोध आंदोलन राजस्थान में समग्र सेवा संघ, राजस्थान,  अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, जमाते इस्लामी हिंद, राजस्थान, ऐपवा, एनएफआईडब्ल्यू, एसआईओ, एसएफआई, यूथ फोरम, पीयूसीएल, संवैधानिक विचार मंच, एप्सो, राजस्थान बौद्ध महासभा, दलित शोषण मुक्ति मंच, आदिवासी जनाधिकार एका मंच, राजस्थान, भारत की जनवादी नौजवान सभा, एपीसीआर, राजस्थान नागरिक मंच, मुस्लिम प्रोग्रेसिव फेडरेशन, राजस्थान मुस्लिम फोरम,
एफ.डी.सी.ए, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(माले), सपा,राजस्थान,
डब्ल्यू.पी.आई., जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत), मजदूर-किसान शक्ति संगठन, डॉ.अम्बेडकर विचार मंच व राजस्थान किसान सभा आदि संगठन शामिल थे।

 

सम्मेलन में उपस्थित प्रतिभागी।

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