खुशखेड़ा पुलिस की तत्परता लाई रंग, दो घण्टे में अपने परिजनों से मिली लावारिस बच्ची

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NCRkhabar@Bhiwadi. खुशखेड़ा थाना पुलिस (Khushkheda Police Station) ने मानवीयता और कर्तव्यनिष्ठा का उत्कृष्ट उदाहरण पेश करते हुए औद्योगिक क्षेत्र में लावारिस घूमती मिली दो साल की अबोध बच्ची को महज दो घंटे के भीतर उसके परिजनों से मिला दिया। पुलिस की त्वरित कार्रवाई और सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग ने एक मासूम बच्ची को अपने परिवार का प्यार वापस दिलाया। इस सराहनीय कार्य ने न केवल पुलिस के मानवीय चेहरे को उजागर किया है बल्कि सामुदायिक सहयोग की शक्ति को भी दर्शाया है।
खुशखेड़ा थाना एसएचओ हनुमान प्रसाद ने बताया कि फायर चौक के पास अग्निशमन कर्मचारी अनूप गोस्वामी ने एक छोटी बच्ची को अकेले और लावारिस घूमते देखा और तुरंत पुलिस को सूचित किया। सूचना मिलते ही पुलिस टीम बिना देर किए हरकत में आई और बच्ची के माता-पिता की तलाश शुरू कर दी गई।
औद्योगिक क्षेत्र खुशखेडा और आसपास की कॉलोनियों में पुलिस ने व्यापक स्तर पर खोजबीन की, लेकिन शुरुआती दौर में कोई सफलता नहीं मिली। बेबस और लगातार रो रही बच्ची की हालत देखकर पुलिसकर्मियों का मन भी द्रवित हो उठा। बच्ची के परिजनों तक पहुंचने के लिए थाना पुलिस ने सीएलजी सदस्य, ग्राम रक्षक, सुरक्षा सखी और पुलिस मित्र को बच्ची की जानकारी साझा की।
इसके साथ ही पुलिस ने सरकारी और निजी वाहनों पर माइक लगाकर बच्ची के बारे में घोषणाएं करवाईं, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक यह सूचना पहुंच सके। जागरूक नागरिकों ने भी इस नेक कार्य में पुलिस का पूरा सहयोग दिया और अपने स्तर पर बच्ची की पहचान करने में मदद की।
पुलिस की अथक मेहनत और नागरिकों की सक्रियता का ही यह परिणाम था कि सूचना प्रसारित होने के महज दो घंटे के भीतर लावारिस अबोध बच्ची कृति के परिजनों का पता चल गया। बच्ची की की मां राजीया पत्नी कल्लु मूल रूप से सरावल, थाना ईसानगर, जिला लखीमपुर उत्तर प्रदेश (Lakhimpur UP) की निवासी हैं और वर्तमान में जसवन्त कॉलोनी खुशखेडा में किराए पर रहती हैं। अपनी मासूम बच्ची को सकुशल पाकर मां राजीया की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उनकी आंखें आंसुओं से भर आईं। वहीं अपनी मां को देखते ही छोटी कृति दौड़कर उनसे लिपट गई। बच्ची के परिजनों ने पुलिस की त्वरित कार्रवाई और संवेदनशीलता के लिए हृदय से आभार व्यक्त किया।
खुशखेड़ा पुलिस की इस सराहनीय पहल ने न केवल एक मासूम बच्ची को उसके परिवार से मिलाया बल्कि यह भी साबित किया कि पुलिस और समुदाय मिलकर किसी भी मुश्किल को आसान बना सकते हैं। यह घटना पुलिस के मानवीय पहलू को दर्शाती है और आमजन के बीच पुलिस के प्रति विश्वास को और मजबूत करती है।

 

खुशखेड़ा पुलिस थाने में गुमशुदा बच्ची के साथ उसके परिजन।

 

 

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