

ncrkhabar@Bhiwadi/New Delhi. भिवाड़ी–धरूहेड़ा के बीच एनएच-919 पर वर्षों से बनी जलभराव की समस्या का अब स्थायी समाधान होने जा रहा है। दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंदरजीत सिंह की संयुक्त अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में समन्वित जल प्रबंधन रोडमैप पर सहमति बनी। इस योजना के तहत क्षेत्र में जलनिकासी, सीवेज ट्रीटमेंट और औद्योगिक अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिए एकीकृत रणनीति लागू की जाएगी।
एनएच-919 पर जलभराव का स्थायी समाधान
बैठक में निर्णय लिया गया कि भिवाड़ी और धरूहेड़ा के औद्योगिक व रिहायशी क्षेत्रों में जलभराव को खत्म करने के लिए आधुनिक ड्रेनेज सिस्टम विकसित किया जाएगा। बरसात के दौरान सड़क और आसपास के इलाकों में पानी जमा न हो, इसके लिए भौगोलिक ढलान आधारित इंजीनियरिंग सुधार और वर्षा जल प्रबंधन तकनीक अपनाई जाएगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एनएचएआई को निर्देश दिए कि एनएच-919 की जलनिकासी प्रणाली को मजबूत किया जाए, ताकि वर्षा का पानी बिना रुकावट मसानी बैराज तक प्रवाहित हो सके।
भिवाड़ी में अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माणाधीन
भिवाड़ी में प्रशासन द्वारा 34 एमएलडी क्षमता वाला अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तेजी से तैयार किया जा रहा है। इस संयंत्र से निकलने वाले उपचारित जल को सारेखुर्द बांध तक पहुंचाया जाएगा, जिससे नगर वन क्षेत्र की सिंचाई में इसका उपयोग संभव होगा। इसके साथ ही “वॉटर प्लाज़ा” की अवधारणा पर भी काम चल रहा है, जहां उपचारित जल की गुणवत्ता प्रदर्शित की जाएगी और औद्योगिक पुनः उपयोग के मॉडल को जनता के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
भिवाड़ी का सीईटीपी बना ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज मॉडल
भिवाड़ी का कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) पहले ही 6 एमएलडी क्षमता वाले ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम में अपग्रेड किया जा चुका है। इसमें अल्ट्रा फिल्ट्रेशन, रिवर्स ऑस्मोसिस और मैकेनिकल वेपर रिकंप्रेशन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग हो रहा है। फरवरी 2024 से इसका संचालन शुरू हो चुका है और सदस्य उद्योग अब उपचारित जल का पुनः उपयोग कर रहे हैं।
धारूहेड़ा में भी बनेगी नई जल प्रबंधन परियोजना
धरूहेड़ा में नया सीईटीपी विकसित करने और मौजूदा एसटीपी को अपग्रेड करने की योजना पर सहमति बनी है। उपचारित जल को मसनी बैराज तक पहुंचाया जाएगा ताकि बिना उपचारित जल किसी भी हालत में प्राकृतिक स्रोतों में न छोड़ा जाए।
मसानी बैराज से प्राप्त उपचारित जल का उपयोग कृषि सिंचाई, हरित क्षेत्र विकास और औद्योगिक प्रयोजनों में किया जाएगा।
समग्र दृष्टिकोण से होगा विकास
बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि जलभराव की समस्या केवल इंजीनियरिंग नहीं, बल्कि शहरी नियोजन, जल संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण से जुड़ा हुआ व्यापक विषय है। इसलिए सभी एजेंसियों को संविलियन दृष्टिकोण अपनाने के निर्देश दिए गए।यह पहल भिवाड़ी–धरूहेड़ा क्षेत्र को जलभराव-मुक्त, प्रदूषण-मुक्त और सतत विकास का मॉडल बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगी।



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